तमन्ना ....
मैंने तो अपने आपको लुटा दिया
मुट्ठी भर इस धरती में --
अब तो बस समां गया हूँ मैं
धुल में, बन में और फूलों में।
अब मैं मेघमाला , निर्मल जलधारा
स फेन तरंग हूँ मैं !
शीतल मलय , भयानक तूफान
और सुबह का किरण हूँ मैं !
बस एक तमन्ना - सतरंगी इन्द्रधनुष से ,
सजाऊँ एह नीले चित्रपट ।
उपल से उपल छूकर बहती चलूँ
कलकल छल छल करूँ बात ।
तमन्ना एक थी मेरी - छूकर मरुभूमि
प्राणहीन कठिन चट्टान ,
सजाऊँ फूलों की मेला , खेले तितली हरेक -
बन में बिहंग की कलतान ।
.............अपूर्व मजुमदार
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