हम नवयुग की नई भरती , नई आरती
हम स्वराज की ऋचा नवल
भारत की नव -लय हों
नव सूर्योदय नव चंद्रोदय
हमीं नवोदय हों ..........
हम नव युग की ................
रंग -जाति-पाति , पद- भेद रहित
हम सबका एक भगवान हो
संतानें धरती माँ की हम
धरती पूजा स्थान हो
पूजा के खिल रहे कमल - दल
हम नव जल में हों
सूर्योदय के नव बसंत के हमी नवोदय हों
हम नवयुग की.................!!
मानव हैं हम हलचल हम
प्रकृति के पावन देश की
खिले फले हम में संस्कृति
इस अपने भारत देश की
हम हिमगिरी हम नदियाँ
हम सागर की लहरें हों ....
नव सूर्योदय नव चंद्रोदय
हमी नवोदय हों
हम नवयुग की ....................
हरी दुधिया क्रांति शान्ति के
श्रम के बंदनवार हों ...
भागीरथी हम धरती माँ के
सुरम वीर पहरेदार हों
सत्यम शिवम् सुन्दरम की नई
पहचान बनाये जग में हम
अन्तरिक्ष के ज्ञान - यान के हमी
नवोदय हों ...
हम नवयुग की ............
Friday, January 22, 2010
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