Creativity should come out

The main aim of this magazine is to bring out and display the creativity of students in Navodya Vidyalayas located all over India. Any navodayan can send his/her creations ( Hindi or English Literature, Paintings,Sculpture or any other type of art ) to anmolsaab@gmail.com for publishing in this magazine. Clearly mention your name ,class and name of the navodaya. If found fit, it will be published. To avoid delay in publishing or loss of email, send it with "for- hami navodaya hon " in subject line. Photographs of school functions (with captions) may also be sent.
Representatives of various Navodayas are also invited to join our authors list. By joining this list they will get right to post their articles directly to the blog.

Monday, October 4, 2010

हमारी जात हिन्दी, धर्म है ईमान है हिन्दी

हमारी आन है हिन्दी हमारी शान है हिन्दी
हमारे प्यारे हिन्दोस्तान की पहचान है हिन्दी

हमारी माँ है हिन्दोस्तान की धरती जहाँ वालो
हमारी जात हिन्दी, धर्म है ईमान है हिन्दी

समूचा ज्ञान हमने हिन्दी के कदमों में पाया है
हमारा वेद है हिन्दी हमे कुरआन है हिन्दी

हमें हिन्दोसितां को फिर वही दर्जा दिलाना है
कि हिन्दोस्तान के उत्थान का ऐलान है हिन्दी

सभी भारत की भाषाओं की है हिन्दी बड़ी दीदी
महब्बत से सभी बहनों का रखती ध्यान है हिन्दी


--
रवि कांत 'अनमोल'
मेरी रचनाएं
http://aazaadnazm.blogspot.com
कविता कोश पर मेरी रचनाएं
http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A4_%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%B2

Sunday, July 18, 2010

खिलने दो ख़ुश्बू पहचानो, कलियों का सम्मान करो

              ग़ज़ल
खिलने दो ख़ुश्बू पहचानो, कलियों का सम्मान करो
माली हो मालिक मत समझो, मत इतना अभिमान करो

जंग के बाद भी जीना होगा, भूल नहीं जाना प्यारे
जंग के बाद का मंज़र सोचो, जंग का जब ऐलान करो

कंकड़-पत्थर हीरे-मोती, दिखने में इक जैसे हैं
पत्थर से मत दिल बहलाओ, हीरे की पहचान करो

इस दुनिया का हाल बुरा है, इस जग की है चाल अजब
अपने बस के बाहर है यह, कुछ तुम ही भगवान करो

मंज़िल तक पहुँचाना है जो, मेरे घायल कदमों को
कुछ हिम्मत भी दो चलने की, कुछ रस्ता आसान करो

मरना चाहे बहुत सरल है, जीना चाहे मुश्किल है
मरने की मत दिल में ठानों, जीने का सामान करो

खो जाओगे खोज खोज कर, बाहर क्या हासिल होगा
ख़ुद को खोजो ख़ुद को जानो, बस अपनी पहचान करो

रवि कांत ’अनमोल’

Thursday, March 4, 2010

गूगल का चमत्कार

"पा" फिल्म में Auro का संवाद  "गूगल से बच कर कहाँ जाओगे"  अंतरजाल पर गूगल के महत्व को सिद्ध करता है। गूगल वाकई बहुत जबर्दस्त सेवा है जो हर प्रकार से लोगों की सहायता करती है। लेकिन कभी कभी इससे बहुत मज़ेदार परिणाम भी मिलते हैं।
गूगल ट्रांसलेट ( http://translate.google.com/#) की निःशुल्क अनुवाद सेवा है जिसमें आप विश्व की ५२ भाषाओं का अनुवाद कर सकते हैं। हमने इस अनुवाद सेवा का प्रयोग करके एक पत्र का अनुवाद करने का प्रयास किया। नतिजा बहुत हास्यास्पद निकला। नीचे पत्र और अनुवाद दोनों ज्यों के त्यों दिए जा रहे हैं । पाठक उनका आनंद ले सकते हैं-
मूल पत्र -
श्री मान जी,
मैंने आपके विश्वविद्यालय से सितंबर, २००९ में एम..इन एडुकेशन (द्वितीय वर्ष) की परीक्षा रेवाड़ी अध्ययन केंद्र से क्रमांक 9135876 के अंतर्गत दी थी मैंने आज से करीब चार महिनें पहले डेजरटेशन भी रेवाड़ी अध्ययन केंद्र में जमा करवा दी थी लेकिन मेरा रिजल्ट अभी तक नहीं आया है जबकि मेरे कई साथियों का रिजल्ट चुका है मेरे द्वारा अध्ययन केंद्र रेवाड़ी से काफ़ी बार पूछने पर यही जवाब मिलता है कि अभी युनिवर्सिटी से ही रिजल्ट आउट नहीं हुआ है कृपया इस मामले में मेरी सहायता करते हुए मुझे मेरा रिजल्ट e-mail address :- tejpalranga@gmail.com पर प्रेषित करें

प्रेषक
तेज पाल

--
 गूगल द्वारा अनूदित पत्र -

Mr Man-in-law,
I have your University September, 2009, MA in Adukeshn (second year) examination Rewari study center under the number 9135876 was given. I even today, nearly four Mahinen Rewari study center before Dejrteshn had submitted. But I still have not įÚÁËÅ while many of my colleagues has come įÚÁËÅ. Once when asked by me enough to Rewari Learning Center gives the answer that is not out yet įÚÁËÅ from University. Please help me in this matter while įÚÁËÅ me my e-mail address: - tejpalranga@gmail.com to transmit on.

Sender
Sharp sail



रवि कांत

Monday, February 8, 2010

facts about IQ test scores

International IQ studies show that Hong Kong has the most intelectural country with citizens averaging 107. South Korea, Japan, and Taiwan and Singapore follow. The US ranks 18th.

The average IQ in US is 98. New Hampshire residents have the highest IQs amoung Americans, averaging 104, followed by Oregon and Massachusetts at 103. The lower figures reside in Mississippi and South Carolina, where the average IQ is 94.

0.1% of the world's population has an IQ of 145 or above, the level required to be deemed profoundly gifted.

Experts have been able to compile a list of causes of mental retardation (from "mild" at IQs between 50 and 70 to "profound" at 20 or below) but are still largely uncertain about specific causes of genius.

According to a 2007 study, orangutans are the most intelligent non-human primate, followed by chimpanzees, spider monkeys, langurs, and macaques.

Chimpanzees, parrots, and dolphins typically have IQs between 35 and 49. In a human, these numbers would suggest moderate retardation.

Some studies show that children who are breastfed have IQs of up to 10 points higher by age 3 than children restricted to bottles.

According to a Danish study, people with lower IQs are at greater risk of sustaining a concussion.

Research has shown that US children gain about 3.5 IQ points during each year they are in school.

A New York City study of 1 million students discovered that removing preservatives, dyes, and artificial flavors from school lunches increased IQ test scores by 14%.

Such studies are also required in India and specially in Navodaya Vidyalayas.


facts collected and presented by -
 
Ravi Kant
TGT Hindi
JNV Chirang

Sunday, February 7, 2010

कर्मफ़ल -एकांकी

कर्मफल - डॉ० राम कुमार श्रीवास्तव, रवि कांत अनमोल
(यम का दरबार लगने वाला है । यमदूत कुर्सियां, मेज़ आदि लगा रहे हैं ।
कुर्सियां लगने के बाद चित्रगुप्त पधारते हैं । सामने यमराज का आसन है और
उसके दाहिने तरफ़ चित्रगुप्त का आसन है ।)
दरबान : धर्मराज पधार रहे हैं ।
चित्रगुप्त : (धर्मराज के आने के बाद ) प्रणाम धर्मराज ।
यमराज : प्रणाम चित्रगुप्त । कहो कैसा चल रहा है ।
चित्रगुप्त :आपकी दया है महाराज ।
यमराज : आजकल मर्त्यलोक से आने वाली मृतात्माओं की संख्या बहुत बढ़ गई है ।
चित्रगुप्त :हां महाराज । मेरे ख्याल से यह सब गड़बड़ संहारकर्ता शिव शंकर
के डिपार्टमेंट से हो रही है ।
यमराज : वह कैसे ?
चित्रगुप्त :एक तो धरती पर कई जगह युद्ध चल रहे हैं उस पर शिव ने ब्रह्मा
से कह कर मच्छरों चूहों और बीमारी के कीआनुओं की फ़ौज भी खड़ी कर दी है जो
मनुष्यों का जीना हराम किए हुए है ।
यमराज : हूं । शिव की भी इसमे पूरी ग़लती नहीं है । आबादी ही इतनी अधिक बढ़
रही है कि संहार भी उनको अकेले करने में मुश्किल आ रही होगी ।
चित्रगुप्त : हां महाराज आप ठीक कह रहे हैं ।
यमराज : देखो चित्रगुप्त हम लोग भी धरतीवासियों की तरह अपना आफ़िस टाइम
बेकार की बातों में गंवा रहे हैं । हमें अपना काम शुरू करना चाहिए ।
चित्रगुप्त :जी महाराज । ( ज़रा तेज़ आवाज़ में ) प्लेन क्रैश में मारे गए ।
पाप सिंगर ग्रुप साइकल जै किशन एंड पार्टी की आत्माओं को पेश किया जाए ।
( दो यमदूत साइकल जै किशन और उसके साथियों की आत्माओं को लेकर आते हैं ।
साइकल जै ???न गिटार बजा रहा है और उसके साथी नाचते हुए आते हैं ।)
चित्रगुप्त : हां तो साइकल जै किशन तुमने ..
साइकल जैक्सन : ( बात काटते हुए, और चित्रगुप्त की नेमप्लेट को ध्यान से
पढ़ते हुए ) सी मिस्टर चित्रा गुप्ता । मेरा नाम ठीक से बोलो । आय एम
साइकल जैक्सन नाट जै किशन ओ.के. ।
चित्रगुप्त : जो भी है । .. मैं चित्रा गुप्ता नहीं चित्रगुप्त हूं ।
सा०जै० : जो भी है । .. आय डोंट केयर ।
यमराज :( मेज़ को थपथपाते हुए) शांत शांत । हां तो चित्रगुप्त इनका कर्मलेख बताओ ।
चित्रगुप्त : महाराज इन लोगों ने पुण्य का कोई काम नहीं किया । अश्लील
गीत गाए जिससे युवा पीढ़ी दिग्भ्रमित हुई । ये सभी नरक के भागीदार हैं ।
सा०जै० : ( बात काटते हुए ) अश्लील गीत !! सो व्हाट ! मैने तो पब्लिक
डिमांड को पूरा किया । लोगों को एंटरटेन किया । हमें स्वर्ग चाहिए । हम
इंद्रा को एंटरटेन करेगा । ( सा०जै० के साथी शोर मचाते हैं । हम अप्सराओं
के साथ डांस करेंगे )
यमराज : शांत शांत । ठीक है तुमने जनता का मनोरंजन किया । लेकिन कलाकार
का कर्तव्य नहीं निभाया । कलाकार को जनता का सही मार्गदर्शन करने के लिए
कला का प्रयोग करना चाहिए । जो तुम लोगों ने नहीं किया । ले जाओ इन लोगों
को नर्क में डाल दो ।
सा० जै० (जाते हुए ) ठीक है हम उधर ही एंटरटेन करेगा ।
( पूरा ग्रुप नाचते गाते चला जाता है ।)
चित्रगुप्त : पूरा जीवन बिता कर आई प्राइमरी मास्टर भरोसे लाल की आत्मा
और प्रोफ़ेसर घूरे लाल की आत्मा को पेश किया जाए।
यमराज : ये आत्माएं तो बहुत शरीफ़ दिखती हैं । इनका कर्मफल क्या है, चित्रगुप्त ।
चित्रगुप्त : जी महाराज । मास्टर भरोसेलाल ने सरकारी स्कूल का मास्टर
होते हुए भी बड़े परिश्रम से ग़रीब छात्रों को पढ़ाया है । धन का लालच नहीं
किया । कर्तव्य के प्रति इमानदारी बरती । कर्मफल के अनुसार ये स्वर्ग के
भागीदार हैं ।
मा० भ० ला० : (शांत स्वर में बात काटते हुए ) धर्मराज मुझे स्वर्ग नहीं
चाहिए । मेरे देश के करोड़ों बच्चे अभी अशिक्षित हैं । मैं दोबारा धरती पर
जाकर शिक्षा का प्रसार करना चाहता हूं ।
यमराज : आप की निष्ठा और लगन देख कर मैं अत्यंत प्रभावित हूं । आपकी
मनोकामना पूरी करते मैं आशीर्वाद देता हूं आप भारतभूमि पर जा कर नवोदय
विद्यालय नामक संस्था के प्राचार्य बनें ।
चित्रगुप्त : और महाराज ये घूरेलाल बड़े पद पर होते हुए भी अपने कर्तव्य
के प्रति लापरवाह रहे हैं । विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर थे लेकिन कभी
क्लास नहीं ली । टयूशन पढ़ाकर अपनी जेबें भरीं ।
प्रो० घू० ला० : हां महाराज , आज मुझे इस बात का पश्चाताप है कि मैने
अपने कर्तव्य का सम्यक पालन नहीं किया । अतः मुझे नरक में भेज दिया जाए ।
यमराज : हूं । लेकिन तुमने जैसे भी हो शिक्षा का प्रसार किया है । भले ही
अपने स्वार्थ के लिए । और तुम्हें अपने कर्म पर पश्चाताप भी है । अतः
तुम्हें मुक्ति के लिए एक मौका दिया जाता है । तुम्हें उसी विश्वविद्यालय
के प्रांगन में आम का वृक्ष बना कर भेजा जाता है । जिससे तुम लोगों को
छाया और मीठे फल देते हुए अपने पापों का क्षरण करो ।
चित्रगुप्त : चुनावी रैली के दौरान बम विस्फोट में मारे गए नेताओं और
पुलिस वालों की आत्माओं को पेश किया जाए ।
( दो यमदूत सभी आत्माओं को लेकर आते हैं । नेता जी के समर्थक नारे लगाते
हुए तथा नेता जी हाथ जोड़ कर आते हैं । पुलिस वाले उन्हें घेर कर सुरक्षा
दे रहे हैं ।)
नेता : (नेम प्लेटें देख कर ) प्रणाम गुप्ता जी । थोड़ा ख़्याल रखिएगा । (
धर्मराज की ओर देखकर) प्रणाम धर्मराज । कैसे हैं ।
चित्रगुप्त : देखो मैं गुप्ता जी नहीं हूं । चित्रगुप्त हूं ।
नेता : गुस्सा क्यों होते हैं , हज़ूर । नाम में क्या रख्खा है । बात तो
कुर्सी की है । आप हमें केस जिता दीजिए हम आप का प्रोमोशन करा देंगे । (
थोड़ा पास जाकर) अरे साहब ये जज की कुर्सी आप की समझिए । हां ।
यमराज : शांत शांत । (थोड़ा धीरे से ) यह कैसा प्राणी है । (चित्रगुप्त
से) चित्रगुप्त जी आप अपनी कार्यवाही शुरू करें ।
चित्रगुप्त : महाराज इस जीव को भारतभूमि पर राष्ट्रीय स्तर के नेता का
दायित्व सौंपा गया था । किन्तु यह कुर्सी के लोभ में दलबदल किया, जनता से
झूठे वादे किए , दंगे करवाए ,और यहां तक कि राष्ट्र हित का भी ध्यान नहीं
रखा । लेन देन ख़रीद फ़रोख्त इसकी आदत बन गई है ।
नेता : यह सरासर झूठ है । यह हमारे विरोधियों की चाल है । महाराज यह
गुप्ता भी बिका हुआ है । आप इसकी बातों पर ध्यान न दें । और स्वर्ग पर
मेरा हक़ बनता है ।
( नेता के साथी शोर मचाते हैं । हां हां हम स्वर्ग ले कर रहेंगे। स्वर्ग
पर हमारा ही हक़ है । )
यमराज : चुप रहो । यह यमलोक है तुम्हारी संसद नहीं । तुम लोगों ने अपने
जीवन में एक भी अच्छा काम नहीं किया । अतः इन सभी को नरक में डाल दिया
जाए ।
नेता और साथी : (जाते हुए ) यह सरासर अन्याय है । हम हड़ताल करा देंगे ।
पुलिसवाले : (एक साथ) हुजूर हमने तो ऐसा कुछ नहीं किया । जनता की सेवा की
है । हमें तो स्वर्ग मिलना ही चाहिए ।
चित्रगुप्त : तो क्या घूस मैने लिया है ? लोगों को झूठे केस में हमने
फंसाया है ? महाराज ये सब भी पापी हैं । इन्हें भी नरक में भेजा जाए ।
यमराज :ठीक है इन्होंने आम जनता को बहुत सताया है । अत: इन्हें पुनः धरती
पर भेज दिया जाए जहां ये बेरोज़गार हो कर अपना जीवन बितांएं और आम जनता के
दुःखों का अनुभव करें ।
( यमदूत पुलिस वालों को ले जाते हैं पुलिसवाले चिल्लाते हैं नहीं महाराज
हमें बेरोज़गार मत बनाइए हम नरक में जाने को तैयार हैं । )
चित्रगुप्त : फांसी की सजा से मरे आतंकवादियों की आत्मा को पेश किया जाए ।
( हाथ में बंदूक लहराते हुए माथे पर काला कपड़ा लपेटे आतंकवादियों को
यमदूत लेकर आते हैं । आतंकवादी शोर मचाते हुए आते हैं )
आतंकवादी सरगना : (चित्रगुप्त की तरफ़ बंदूक तानते हुए ) ऐ गुप्ता । उड़ा
डालूँगा, यदि मुझे स्वर्ग नही दिया । समझ ले ।
चित्रगुप्त : अपना व्यवहार संतुलित करो यह यमलोक है । अब तुम जीवित नहीं
हो । (यमराज से) महाराज लगता है इन आत्माओं पर अभी तक इनके शरीर का भ्रम
बना हुआ है । इन लोगों ने धरती पर भी ऐसे ही काम किए हैं । ये सभी अपने
कर्मों से नरक के भागीदार हैं ।
यमराज : नहीं चित्रगुप्त नरक इनके लिए बहुत छोटी सजा होगी । इन्हें
उन्हीं परिवारों में पुन: जन्म दिया जाए, जो इन के द्वारा पीड़ित हुए हैं
। ये उनकी सेवा करते हुए अपने पापों का फल भोगें ।
( आतंकवादी चीखते हुए जाते हैं । साथ ही चित्रगुप्त को धमकी देते हुए
जाते हैं कि गुप्ता तुझे देख लूँगा । )
चित्रगुप्त : विभिन्न स्थानों से लाई गई डॉक्टरों तथा नर्सों की आत्माओं
को पेश किया जाए ।
( दो यमदूत आत्माओं को ले कर आते हैं । डॉक्टर तथा नर्सें आपस में परिचय करते हुए )
डॉ०-१ : (सभी से) हैलो! आय एम डॉ० मित्रा फ्रॉम मुंबई ।
डॉ०-२ : आय एम डॉ० खुराना फ्रॉम दिल्ली ।
डॉ०-३ : आय एम डॉ० रियांग फ्रॉम अगरतला। कैसे मरी ।
यमराज : शांत , शांत । कृपया शांत रहें आप लोगों के कर्मफल का निर्धारण
होने जा रहा है ।
(सभी आत्माएं एक दूसरे को चुप कराती हैं ।)
चित्रगुप्त : महाराज ये सभी जीव धरती पर डॉक्टर थे । इन्हों ने सामान्य
जन को बहुत पीड़ा पहुँचाई है ।
डॉ मित्रा : यू आर रांग मिस्टर चित्रा गुप्ता ।
चित्रगुप्त :( सिर धुनते हुए ) मैं चित्रा गुप्ता नहीं चित्रगुप्त हुँ ,
डॉक्टर साहिबा ।
डॉ खुराना : ओ.के. ओ.के. मिस्टर चित्रगुप्त । हमने तो लोगों का इलाज ही
किया है । कोई गुनाह तो नहीं किया ।
चित्रगुप्त :गुनाह ही तो किया है । धन के लालच में ग़लत प्रमाणपत्र बनाए,
ग़रीबों का इलाज करने से मना किया, कमीशन के लिए ग़लत दवाएं और जांच लिखी ।
यह सब गुनाह नहीं तो और क्या है । महाराज इनके खाते में पुण्य कम और पाप
ज़्यादा हैं ।
यमराज : (सोचते हुए) इनका क्या किया जाए । पुण्य भी कमाया है और पाप भी
कम नहीं हैं। (निर्णायक मुद्रा में ) ठीक है । इन सभी को पुन: धरती पर
असाध्य रोगों के साथ भेज दो । जिससे इन्हें बीमारों की पीड़ा की अनुभूति
हो सके ।
( यमदूत सभी आत्माओं को लेकर जाते हैं । आत्माएं सिर धुनते हुए एकसाथ
बोलती हैं ओह सो सैड )
चित्रगुप्त : महाराज क्या बात है कि आज सभी मुझे चित्रा गुप्ता ही कह कर
बुला रहे हैं । अपने नाम के साथ यह मज़ाक मैं सहन नहीं कर पा रहा हूँ ।
यमराज : इसमें तुम्हारी ही ग़लती है । अपनी नाम पट्टिका पर तो ध्यान दो ।
आधुनिक बनने के लिए आङ्गल भाषा में नाम पट्टिका जो लगा रखी है उसी ने
तुम्हें चित्र से चित्र से चित्रा और गुप्त से गुप्ता बना दिया है ।
चित्रगुप्त : आप ठीक कहते हैं महाराज । मैं इस झूठी आधुनिक्ता के फेर में
मज़ाक का पात्र बन गया । (नाम पट्टिका दराज़ में रखकर, एक अन्य नाम पट्टिका
मेज़ पर रखते हुए ) देवनागरी में लिखी यह पुरानी पट्टिका ही ठीक है ।
यमराज : चित्रगुप्त अपनी भाषा ही श्रेयस्कर है ।
चित्रगुप्त : जी महाराज । (थोड़ा रुक कर ) अपनी पूरी उम्र भोग कर आई
जल्लाद चिथरा कसाई की आत्मा को पेश किया जाए ।
( चिथरा कसाई दो यमदूतों के साथ शांति से आता है )
चिथरा कसाई : (आते ही दोनो हाथ जोड़ कर) प्रभु मैने बहुत पाप किए ।
(चित्रगुप्त से) महाराज चित्रगुप्त मेरे करमों का लेख क्या देखना ? मैं
जल्लाद हूँ । मुझे नरक ही मिलना चाहिए ।
यमराज : अपने कर्मफल का निर्धारण करने की अनुमति आत्मा को नहीं है । उसके
लिए चित्रगुप्त और मैं हूँ । चित्रगुप्त इस जल्लाद के कर्मलेख क्या हैं?
बताएं !
चित्रगुप्त : महाराज, इस जीव ने धरती पर अपने निर्धारित कर्म का इमानदारी
से निर्वाह किया है। समाज का अहित करने वाले लोगों के प्राण लेना इसका
दायित्व था न कि अपनी इच्छा । व्यक्तिगत जीवन में यह एक इमानदार, दयालु,
नेक इंसान रहा है । अत: यह स्वर्ग का भागी है ।
यमराज : चिथरा कसाई को स्वर्ग दिया जाता है ।
( यमदूत चिथरा कसाई को ले जाते हैं )
यमराज : वाह चित्रगुप्त तुम्हारा भी जवाब नहीं । कसाई का घृणित कर्म करने
वाले जीव को भी तुम स्वर्ग का भागी समझते हो ।
चित्रगुप्त : महाराज, कर्मफल कार्य के नहीं, अपितु कार्य से जुड़ी भावना
के आधार पर निर्धारित होता है । (घड़ी देखते हुए) धर्मराज अल्पाहार का समय
हो चुका है । अत: अब हमें प्रस्थान करना चाहिए ।

समाप्त

Sunday, January 31, 2010

तमन्ना ....

मैंने तो अपने आपको लुटा दिया

मुट्ठी भर इस धरती में --

अब तो बस समां गया हूँ मैं

धुल में, बन में और फूलों में।

अब मैं मेघमाला , निर्मल जलधारा

स फेन तरंग हूँ मैं !

शीतल मलय , भयानक तूफान

और सुबह का किरण हूँ मैं !

बस एक तमन्ना - सतरंगी इन्द्रधनुष से ,

सजाऊँ एह नीले चित्रपट ।

उपल से उपल छूकर बहती चलूँ

कलकल छल छल करूँ बात ।

तमन्ना एक थी मेरी - छूकर मरुभूमि

प्राणहीन कठिन चट्टान ,

सजाऊँ फूलों की मेला , खेले तितली हरेक -

बन में बिहंग की कलतान ।

.............अपूर्व मजुमदार

Thursday, January 28, 2010

चाहत .......

चाहे शबनम हों या बादल

मैं तो धरती की धधकती छाती पर

तुमसे माँगा एक बूंद पानी !

चाहे मलय हों या तूफ़ान -

मैंने इतना माँगा था की

तुम उड़ा लो आहट और गम की कहानी

कहते हैं लोग - प्यार की रंग हैं लाल

मैंने देखा नफरत से रंगाई लाल मिटटी !

तुम सिर्फ हरियाली दो

नीले गगन दो

और पिंजर से हर बिहंग की छुट्टी

तुम प्लावन बनो या प्रलय !

धो डालो धरती पर जमी हर कालिमा को

तुम महासागर या हिमालय !

अवतार हों या महा-प्रलय !

ख़त्म करदो कातिल की एह अट्टहास !

हे महाकाल! हे प्रकाश !

धरती पर सिर्फ चांदनी दो

चिड़िया की कल तान और नई सुबह की रौशनी

तमान्ना है एक नई सुबह की

तमन्ना है फुल बनकर खिलने की -

तुम सिर्फ एह आग बुझाओ

धरती पर बरसाओ दो बूंद पानी!

.......... अपूर्व मजुमदार ज न वी चिरांग ( असम )

Tuesday, January 26, 2010

On The Occasion Of Republic DayIndia is an old country, but a young nation (with almost 50 % people in Young age group); and like the young everywhere, we are impatient. I am young and I too have a dream. I dream of an India, strong, independent, self reliant and in the forefront of the front ranks of the nations of the world in the service of mankind. Without dedication to our dutyand sincerety to ourselves it would be difficult.

गणतंत्र दिवस 2010

republic day at jnv chirang 2010

republic day

Friday, January 22, 2010

Sculpture by APURBA MAZUMDER, art teacher JNV Chirang ,assam


नवोदय प्रार्थना

हम नवयुग की नई भरती , नई आरती
हम स्वराज की ऋचा नवल
भारत की नव -लय हों
नव सूर्योदय नव चंद्रोदय
हमीं नवोदय हों ..........
हम नव युग की ................
रंग -जाति-पाति , पद- भेद रहित
हम सबका एक भगवान हो
संतानें धरती माँ की हम
धरती पूजा स्थान हो
पूजा के खिल रहे कमल - दल
हम नव जल में हों
सूर्योदय के नव बसंत के हमी नवोदय हों
हम नवयुग की.................!!

मानव हैं हम हलचल हम
प्रकृति के पावन देश की
खिले फले हम में संस्कृति
इस अपने भारत देश की
हम हिमगिरी हम नदियाँ
हम सागर की लहरें हों ....
नव सूर्योदय नव चंद्रोदय
हमी नवोदय हों
हम नवयुग की ....................
हरी दुधिया क्रांति शान्ति के
श्रम के बंदनवार हों ...
भागीरथी हम धरती माँ के
सुरम वीर पहरेदार हों
सत्यम शिवम् सुन्दरम की नई
पहचान बनाये जग में हम
अन्तरिक्ष के ज्ञान - यान के हमी
नवोदय हों ...
हम नवयुग की ............

Wednesday, January 20, 2010

Tuesday, January 19, 2010

winners


Remember, winners don't do different things, they do
things differently!

Success quotes

1/1

"Anything in life worth having is worth working for." - Andrew Carnegie

1/2

"Success often comes to those who dare to act. It seldom goes to the timid who

are ever afraid of the consequences." - Jawaharlal Nehru

1/3

"Success is never ending, failure is never final." - Dr. Robert Schuller

1/4

"I just love when people say I can't do something because all my life people said

I wasn't going to make it." - Ted Turner

1/5

"Great thoughts speak only to the thoughtful mind, but great actions speak to all

mankind." - Emily P. Bissell

1/6

"Obstacles are those frightful things you can see when you take your eyes off

your goal." - Henry Ford

1/7

"It takes a strong fish to swim against the current. Even a dead one can float with

it." - John Crowe

1/8

"You will never find time for anything. You must make it." - Charles Buxton

1/9

"Remove failure as an option." - Joan Lunden

Monday, January 18, 2010

मेरी माँ (रेखाचित्र) - आजमीना बेगम

        इस दुनिया मे सबसे बड़ा कौन -माँ !
        इस दुनिया में कोई भी चीज माँ से बढ़कर नही है। इस दुनिया में एक छोड़कर सबको भूल सकते है और वह है -माँ। मेरी माँ की उम्र है -पैंतीस साल। मेरे तीन भाई और एक बहन है। माँ सभी को ही बहुत प्यार करती है। पर मुझे ऐसा क्यों लगता है कि सबसे ज्यादा माँ मुझे ही प्यार करती है।
       मैं ज..वि.चिरांग में पड़ती हूँ। यहाँ हम विद्यालय में ही रहते है। मैं जब बहुत दिनों बाद घर जाती हूँ तो माँ बहुत खुश हो जाती है। ऐसी खुश हो जाती है, मानो उसे दुनिया की सभी खुशियाँ मिल गई हों।

       माँ खुद न खाकर हमे खिलाना चाहती है। वह कष्ट उठाकर, जितना हो सके हमारी इच्छाओं को पूरा करना चाहती है। जब हम बीमार होते हैं तो वह रात-दिन जागकर हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखती है।
       समय-समय पर दवाई-पानी पिलाती है। जब हम शरारत करते हैं तो हमें पापा डाटते हैं। लेकिन एक माँ ही है जो हमे प्यार से समझाती है और बताती है कि हमे किस तरह से जीवन में आगे बढ़ना है। वह हमें कभी भी अपना दुख-कष्ट नही बताती। मैं जब छात्रावास में रहती हूँ , तब घर की याद आती है, लेकिन विशेष रुप से सिर्फ माँ ही ज्यादा याद आती है।
         अगर कोई माँ क्रोधित होता है तो वह चुपचाप सहन लेती है ,क्योंकि उसे पता है कि अगर वह कुछ विपरीत बोलेंगी तो बात बहुत बड़ी हो जाएगी। वह इस प्रकार बात को बढ़ाना नहीं चाहती। उसका यह गुण मुझे बहुत अच्छा लगा है। मैं भगवान से प्रार्थना करती हूँ कि मैं भी ऐसी हीनू। वह हमे सदा सच बोलने ऒर सच्चाई में रहने के लिए बोलती है
         माँ हमें भिन्न-भिन्न प्रकार की कहानियाँ सुनाती है और बताती है कि किस तरह सच्चाई की राह पर हम जीवन मॆं आगे बढ़ें वह सदा अपना काम ठीक समय पर कर लेती हैं। उसके ये सब गुण मुझे अपनी ओर खीचते है। माँ के बिना एक घर अधुरा है। हम यह कह सकते है कि माँ ही एक परिवार कीखवाली है, क्योंकि सुबह से लेकर रात तक घर को साफ-सुथरा रखना, खाना-पीना, नहाना-धोना आदि काम दिन भर बिना रुकाव के करती है। वह कभी भी अपनी थकाव को नहीं दिखने देती। इस तरह वह दिन-भर अपने घर के अंदर से लेकर बाहर तक के कार्य सम्पन्न कर लेती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि माँ के बिना एक घर या परिवार अधुरा हैं।

नाम -आजमिना बेगम
कक्षा-(बी)
ज०न०वि० चिरांग(आसाम)





प्रेषक
तेज पाल रंगा
पी०जी०टी०(हिन्दी)
ज०न०वि० चिरांग(आसाम)

Sculpture by APURBA MAZUMDER art teacher JNV Chirang ,assam



Sculpture by APURBA MAZUMDER art teacher JNV Chirang ,assam

Saturday, January 16, 2010

मोहन (रेखाचित्र) - अमित दास

                                                             मोहन
एक दिन की बात है -जब मैं हवाई जहाज से मुंबई जा रहा था। तब मुझे अपने पुराने दोस्त मोहन की याद आई। हम सब साथ-साथ रहते और खेलते थे। मोहन का जन्म १२ जनवरी, सन् १९९४ में हुआ था। वह मुझसे एक साल बड़ा है। हम दोनों बचपन से ही बहुत अच्छे मित्र थे। मोहन का प्रिय खेल फुटबॉल था हम लोग उसे लाला कहकर बुलाते थे, क्योंकि उसका चेहरा लाल था और वह पढ़ने में बहुत होशियार था। वह दिन भर पढ़ता रहता था। जब समय मिलता, तब वह डायरी भी लिखता था। वह हर समय कुछ--कुछ करता ही रहता था। वह पढ़ने के साथ-साथ खेलता भी था और न जाने क्या-क्या करता रहता था। जब वह वार्षिक परीक्षा पास करके अपने मामा के घर घूमने जा रहा था, तब अचानक उसकी बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई और वह घायल हो गया। उसके सिर पर गहरी चोट आई। उसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया। हम लोगों ने अस्पताल जाकर देखा कि उसके सिर पर पट्टियाँ बंधी हुई हैं। जब उसे होश आया तो हमने उससे बात करने की कोशिश की, परन्तु डॉक्टर ने हम लोगों को उससे बात करने नहीं दिया, क्योंकि उसका जख्म ज्यादा गहरा था और दिमागी हालत कुछ ठीक नहीं थी। उसको अभी होश आया था। हमने उससे बात नहीं की। अगले दिन जब मैं उससे मिलने के लिए अस्पताल गया तो वह कुछ-कुछ बातें कर रहा था। मैंने उससे थोड़ी देर बातें की।

एक सप्ताह बाद डॉक्टर ने मोहन को घर जाने की अनुमति दे दी। मोहन ज्यादा अमीर नहीं था। इसलिए उसका इलाज अच्छे अस्पताल में नहीं हो सका। उसका इलाज सरकारी अस्पताल में ही हुआ और वह धीरे-धीरे अच्छा हो गया। वह कुछ खेलने लगा था। ज्यादा मेहनत करने से उसे सिरदर्द होने लगता था, इसलिए वह ज्यादा नहीं पढ़ता था। जब वह ठीक हो गया तो मैंने पुछा कि वह दुर्घटना कैसे हुई ? उसने बताया कि जब मैं बस पर सवार होकर मामा के घर जा रहा था, तब अचानक बस के सामने एक बूढ़ा आदमी आ गया और उसे बचाने की कोशिश में ड्राइवर ने बस को एक पेड़ से टकरा दिया ।
दुर्घटना होने के बाद मोहन एक महीने तक स्कूल न जा सका। इसलिए उसका स्कूल-कार्य बहुत ज्यादा हो गया। वह उसे खत्म करने के लिए मुझे और अन्य मित्रों को कुछ सहायता करने के लिए कहा। इस तरह उसका स्कूल-कार्य कुछ ही दिनों में खत्म हो गया। इसके बाद हम लोग फिर से पहले की तरह रहने लगे।
मैं ऐसी बातों में डूबा हुआ था कि मेरा हवाई जहाज मुंबई पहुँच गया।
- अमित दास ,कक्षा-९, ज० न० वि० चिरांग

प्रेषक : तेज पाल रंगा , पी.जी.टी.हिन्दी, ज०न०वि० चिरांग

"BUDDHA" water colour by Apurba Mazumder ,art teacher JNV CHIRANG



"BUDDHA" water colour by Apurba Mazumder ,art teacher JNV CHIRANG

Wednesday, January 13, 2010

"BUDDHA"


" BUDDHA" THE WAX SCULPTURE DONE BY APURBA MAZUMDER

आशा बेरोज़गार की

हम हैं बेरोज़गार, हमें कोई रोज़गार मिले।

गए हैं हम ऊब, न अब हमें और इंतजार मिले॥

बचपन से ही किया हमने शुरु पढ़ना।

परिस्थितियों से हमने सिखा अड़ना।

वो समय ऐसा था गुलशन में फूल खिलें।

गए हैं हम ऊब..............................॥

आई युवावस्था किया हमने अथक प्रयास।

कोई भी जगह जाने में नहीं हुए उदास।

लेकिन अब इस निराशा से न कोई मेल मिले।

गए हैं हम ऊब..........................................॥

मकर की उम्र पर ध्यान नहीं देती सरकार।

हम बेरोज़गारों से मुहँ फेर चुके करतार।

करर्ते हैं हम विनती, कहीं हमें रोज़गार मिले।

गए हम ऊब............................................॥

रोज़गार के इंतजार में आया अंत में बुढ़ापा।

उम्र और गरीबी के तकाज़े में हमने खो दिया आपा।

लेकिन फिर भी सोचते हैं, कहीं कोई बहार मिले।

गए है हम ऊब, न अब हमें इंतजार मिले।

हम हैं बेरोज़गार, हमे कोई रोज़गार मिले॥


तेज पाल रंगा


पी जी टी हिंदी 
ज न वि चिरांग आसाम 

मेरी मनपसंद पंक्तियाँ


ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दोहरा हुआ होगा
मैं  सजदे में नहीं था आप को धोखा हुआ होगा

यहाँ तक आते आते सूख जाती हैं कई नदियाँ
मुझे मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा

दुष्यंत कुमार

प्रेषक : तेज पाल रंगा
पी जी टी हिंदी ज न वि चिरांग आसाम

Monday, January 11, 2010

Paintings by Students of JNV Chirang, Assam

Paintings by Students of JNV Chirang, Assam




Painting by Mayuri saha Class VI B JNV Chirang, Assam









Painting by Debojit Barman Class VIII B JNV Chirang, Assam

Painting by Debojit Barman Class VIII B JNV Chirang, Assam
Posted by Apurba Mazumder Art Teacher JNV Chirang, Assam

गीत - रवि कांत

गीत
लकड़ी के ये खिलौने, दिल को लुभा रहे हैं
बचपन के दिन सुहाने, फिर याद आ रहे हैं

बचपन जहां पे बीता, वो घर यहीं कहीं है
वो रीछ वो मदारी, बंदर यहीं कहीं है
बच्चे कहीं पे मिल के, हल्ला मचा रहे हैं
बचपन के दिन सुहाने, फिर याद आ रहे हैं

नादान से वो सपने, छुटपन में जो बुने थे
किस्से बड़े मज़े के, दादी से जो सुने थे
किस्से वो याद आ कर, फिर गुदगुदा रहे हैं
बचपन के दिन सुहाने, फिर याद आ रहे हैं

भाई ने प्यार से ज्यूं, आवाज़ दी है मुझको
काका ने जैसे कोई, ताक़ीद की है मुझको
ऐसा लगा पिताजी मुझको बुला रहे हैं
बचपन के दिन सुहाने, फिर याद आ रहे हैं

ये किसकी गुनगुनाहट, लोरी सुना रही है
जैसे कि माँ थपक के, मुझको सुला रही है
क्यूं नींद में ये आँसू, बहते ही जा रहे हैं
बचपन के दिन सुहाने, फिर याद आ रहे हैं


रवि कांत
टी०जी०टी० हिन्दी
ज०न०वि० चिराँग
आसाम