International IQ studies show that Hong Kong has the most intelectural country with citizens averaging 107. South Korea, Japan, and Taiwan and Singapore follow. The US ranks 18th.
The average IQ in US is 98. New Hampshire residents have the highest IQs amoung Americans, averaging 104, followed by Oregon and Massachusetts at 103. The lower figures reside in Mississippi and South Carolina, where the average IQ is 94.
0.1% of the world's population has an IQ of 145 or above, the level required to be deemed profoundly gifted.
Experts have been able to compile a list of causes of mental retardation (from "mild" at IQs between 50 and 70 to "profound" at 20 or below) but are still largely uncertain about specific causes of genius.
According to a 2007 study, orangutans are the most intelligent non-human primate, followed by chimpanzees, spider monkeys, langurs, and macaques.
Chimpanzees, parrots, and dolphins typically have IQs between 35 and 49. In a human, these numbers would suggest moderate retardation.
Some studies show that children who are breastfed have IQs of up to 10 points higher by age 3 than children restricted to bottles.
According to a Danish study, people with lower IQs are at greater risk of sustaining a concussion.
Research has shown that US children gain about 3.5 IQ points during each year they are in school.
A New York City study of 1 million students discovered that removing preservatives, dyes, and artificial flavors from school lunches increased IQ test scores by 14%.
Such studies are also required in India and specially in Navodaya Vidyalayas.
facts collected and presented by -
Ravi Kant
TGT Hindi
JNV Chirang
Monday, February 8, 2010
Sunday, February 7, 2010
कर्मफ़ल -एकांकी
कर्मफल - डॉ० राम कुमार श्रीवास्तव, रवि कांत अनमोल
(यम का दरबार लगने वाला है । यमदूत कुर्सियां, मेज़ आदि लगा रहे हैं ।
कुर्सियां लगने के बाद चित्रगुप्त पधारते हैं । सामने यमराज का आसन है और
उसके दाहिने तरफ़ चित्रगुप्त का आसन है ।)
दरबान : धर्मराज पधार रहे हैं ।
चित्रगुप्त : (धर्मराज के आने के बाद ) प्रणाम धर्मराज ।
यमराज : प्रणाम चित्रगुप्त । कहो कैसा चल रहा है ।
चित्रगुप्त :आपकी दया है महाराज ।
यमराज : आजकल मर्त्यलोक से आने वाली मृतात्माओं की संख्या बहुत बढ़ गई है ।
चित्रगुप्त :हां महाराज । मेरे ख्याल से यह सब गड़बड़ संहारकर्ता शिव शंकर
के डिपार्टमेंट से हो रही है ।
यमराज : वह कैसे ?
चित्रगुप्त :एक तो धरती पर कई जगह युद्ध चल रहे हैं उस पर शिव ने ब्रह्मा
से कह कर मच्छरों चूहों और बीमारी के कीआनुओं की फ़ौज भी खड़ी कर दी है जो
मनुष्यों का जीना हराम किए हुए है ।
यमराज : हूं । शिव की भी इसमे पूरी ग़लती नहीं है । आबादी ही इतनी अधिक बढ़
रही है कि संहार भी उनको अकेले करने में मुश्किल आ रही होगी ।
चित्रगुप्त : हां महाराज आप ठीक कह रहे हैं ।
यमराज : देखो चित्रगुप्त हम लोग भी धरतीवासियों की तरह अपना आफ़िस टाइम
बेकार की बातों में गंवा रहे हैं । हमें अपना काम शुरू करना चाहिए ।
चित्रगुप्त :जी महाराज । ( ज़रा तेज़ आवाज़ में ) प्लेन क्रैश में मारे गए ।
पाप सिंगर ग्रुप साइकल जै किशन एंड पार्टी की आत्माओं को पेश किया जाए ।
( दो यमदूत साइकल जै किशन और उसके साथियों की आत्माओं को लेकर आते हैं ।
साइकल जै ???न गिटार बजा रहा है और उसके साथी नाचते हुए आते हैं ।)
चित्रगुप्त : हां तो साइकल जै किशन तुमने ..
साइकल जैक्सन : ( बात काटते हुए, और चित्रगुप्त की नेमप्लेट को ध्यान से
पढ़ते हुए ) सी मिस्टर चित्रा गुप्ता । मेरा नाम ठीक से बोलो । आय एम
साइकल जैक्सन नाट जै किशन ओ.के. ।
चित्रगुप्त : जो भी है । .. मैं चित्रा गुप्ता नहीं चित्रगुप्त हूं ।
सा०जै० : जो भी है । .. आय डोंट केयर ।
यमराज :( मेज़ को थपथपाते हुए) शांत शांत । हां तो चित्रगुप्त इनका कर्मलेख बताओ ।
चित्रगुप्त : महाराज इन लोगों ने पुण्य का कोई काम नहीं किया । अश्लील
गीत गाए जिससे युवा पीढ़ी दिग्भ्रमित हुई । ये सभी नरक के भागीदार हैं ।
सा०जै० : ( बात काटते हुए ) अश्लील गीत !! सो व्हाट ! मैने तो पब्लिक
डिमांड को पूरा किया । लोगों को एंटरटेन किया । हमें स्वर्ग चाहिए । हम
इंद्रा को एंटरटेन करेगा । ( सा०जै० के साथी शोर मचाते हैं । हम अप्सराओं
के साथ डांस करेंगे )
यमराज : शांत शांत । ठीक है तुमने जनता का मनोरंजन किया । लेकिन कलाकार
का कर्तव्य नहीं निभाया । कलाकार को जनता का सही मार्गदर्शन करने के लिए
कला का प्रयोग करना चाहिए । जो तुम लोगों ने नहीं किया । ले जाओ इन लोगों
को नर्क में डाल दो ।
सा० जै० (जाते हुए ) ठीक है हम उधर ही एंटरटेन करेगा ।
( पूरा ग्रुप नाचते गाते चला जाता है ।)
चित्रगुप्त : पूरा जीवन बिता कर आई प्राइमरी मास्टर भरोसे लाल की आत्मा
और प्रोफ़ेसर घूरे लाल की आत्मा को पेश किया जाए।
यमराज : ये आत्माएं तो बहुत शरीफ़ दिखती हैं । इनका कर्मफल क्या है, चित्रगुप्त ।
चित्रगुप्त : जी महाराज । मास्टर भरोसेलाल ने सरकारी स्कूल का मास्टर
होते हुए भी बड़े परिश्रम से ग़रीब छात्रों को पढ़ाया है । धन का लालच नहीं
किया । कर्तव्य के प्रति इमानदारी बरती । कर्मफल के अनुसार ये स्वर्ग के
भागीदार हैं ।
मा० भ० ला० : (शांत स्वर में बात काटते हुए ) धर्मराज मुझे स्वर्ग नहीं
चाहिए । मेरे देश के करोड़ों बच्चे अभी अशिक्षित हैं । मैं दोबारा धरती पर
जाकर शिक्षा का प्रसार करना चाहता हूं ।
यमराज : आप की निष्ठा और लगन देख कर मैं अत्यंत प्रभावित हूं । आपकी
मनोकामना पूरी करते मैं आशीर्वाद देता हूं आप भारतभूमि पर जा कर नवोदय
विद्यालय नामक संस्था के प्राचार्य बनें ।
चित्रगुप्त : और महाराज ये घूरेलाल बड़े पद पर होते हुए भी अपने कर्तव्य
के प्रति लापरवाह रहे हैं । विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर थे लेकिन कभी
क्लास नहीं ली । टयूशन पढ़ाकर अपनी जेबें भरीं ।
प्रो० घू० ला० : हां महाराज , आज मुझे इस बात का पश्चाताप है कि मैने
अपने कर्तव्य का सम्यक पालन नहीं किया । अतः मुझे नरक में भेज दिया जाए ।
यमराज : हूं । लेकिन तुमने जैसे भी हो शिक्षा का प्रसार किया है । भले ही
अपने स्वार्थ के लिए । और तुम्हें अपने कर्म पर पश्चाताप भी है । अतः
तुम्हें मुक्ति के लिए एक मौका दिया जाता है । तुम्हें उसी विश्वविद्यालय
के प्रांगन में आम का वृक्ष बना कर भेजा जाता है । जिससे तुम लोगों को
छाया और मीठे फल देते हुए अपने पापों का क्षरण करो ।
चित्रगुप्त : चुनावी रैली के दौरान बम विस्फोट में मारे गए नेताओं और
पुलिस वालों की आत्माओं को पेश किया जाए ।
( दो यमदूत सभी आत्माओं को लेकर आते हैं । नेता जी के समर्थक नारे लगाते
हुए तथा नेता जी हाथ जोड़ कर आते हैं । पुलिस वाले उन्हें घेर कर सुरक्षा
दे रहे हैं ।)
नेता : (नेम प्लेटें देख कर ) प्रणाम गुप्ता जी । थोड़ा ख़्याल रखिएगा । (
धर्मराज की ओर देखकर) प्रणाम धर्मराज । कैसे हैं ।
चित्रगुप्त : देखो मैं गुप्ता जी नहीं हूं । चित्रगुप्त हूं ।
नेता : गुस्सा क्यों होते हैं , हज़ूर । नाम में क्या रख्खा है । बात तो
कुर्सी की है । आप हमें केस जिता दीजिए हम आप का प्रोमोशन करा देंगे । (
थोड़ा पास जाकर) अरे साहब ये जज की कुर्सी आप की समझिए । हां ।
यमराज : शांत शांत । (थोड़ा धीरे से ) यह कैसा प्राणी है । (चित्रगुप्त
से) चित्रगुप्त जी आप अपनी कार्यवाही शुरू करें ।
चित्रगुप्त : महाराज इस जीव को भारतभूमि पर राष्ट्रीय स्तर के नेता का
दायित्व सौंपा गया था । किन्तु यह कुर्सी के लोभ में दलबदल किया, जनता से
झूठे वादे किए , दंगे करवाए ,और यहां तक कि राष्ट्र हित का भी ध्यान नहीं
रखा । लेन देन ख़रीद फ़रोख्त इसकी आदत बन गई है ।
नेता : यह सरासर झूठ है । यह हमारे विरोधियों की चाल है । महाराज यह
गुप्ता भी बिका हुआ है । आप इसकी बातों पर ध्यान न दें । और स्वर्ग पर
मेरा हक़ बनता है ।
( नेता के साथी शोर मचाते हैं । हां हां हम स्वर्ग ले कर रहेंगे। स्वर्ग
पर हमारा ही हक़ है । )
यमराज : चुप रहो । यह यमलोक है तुम्हारी संसद नहीं । तुम लोगों ने अपने
जीवन में एक भी अच्छा काम नहीं किया । अतः इन सभी को नरक में डाल दिया
जाए ।
नेता और साथी : (जाते हुए ) यह सरासर अन्याय है । हम हड़ताल करा देंगे ।
पुलिसवाले : (एक साथ) हुजूर हमने तो ऐसा कुछ नहीं किया । जनता की सेवा की
है । हमें तो स्वर्ग मिलना ही चाहिए ।
चित्रगुप्त : तो क्या घूस मैने लिया है ? लोगों को झूठे केस में हमने
फंसाया है ? महाराज ये सब भी पापी हैं । इन्हें भी नरक में भेजा जाए ।
यमराज :ठीक है इन्होंने आम जनता को बहुत सताया है । अत: इन्हें पुनः धरती
पर भेज दिया जाए जहां ये बेरोज़गार हो कर अपना जीवन बितांएं और आम जनता के
दुःखों का अनुभव करें ।
( यमदूत पुलिस वालों को ले जाते हैं पुलिसवाले चिल्लाते हैं नहीं महाराज
हमें बेरोज़गार मत बनाइए हम नरक में जाने को तैयार हैं । )
चित्रगुप्त : फांसी की सजा से मरे आतंकवादियों की आत्मा को पेश किया जाए ।
( हाथ में बंदूक लहराते हुए माथे पर काला कपड़ा लपेटे आतंकवादियों को
यमदूत लेकर आते हैं । आतंकवादी शोर मचाते हुए आते हैं )
आतंकवादी सरगना : (चित्रगुप्त की तरफ़ बंदूक तानते हुए ) ऐ गुप्ता । उड़ा
डालूँगा, यदि मुझे स्वर्ग नही दिया । समझ ले ।
चित्रगुप्त : अपना व्यवहार संतुलित करो यह यमलोक है । अब तुम जीवित नहीं
हो । (यमराज से) महाराज लगता है इन आत्माओं पर अभी तक इनके शरीर का भ्रम
बना हुआ है । इन लोगों ने धरती पर भी ऐसे ही काम किए हैं । ये सभी अपने
कर्मों से नरक के भागीदार हैं ।
यमराज : नहीं चित्रगुप्त नरक इनके लिए बहुत छोटी सजा होगी । इन्हें
उन्हीं परिवारों में पुन: जन्म दिया जाए, जो इन के द्वारा पीड़ित हुए हैं
। ये उनकी सेवा करते हुए अपने पापों का फल भोगें ।
( आतंकवादी चीखते हुए जाते हैं । साथ ही चित्रगुप्त को धमकी देते हुए
जाते हैं कि गुप्ता तुझे देख लूँगा । )
चित्रगुप्त : विभिन्न स्थानों से लाई गई डॉक्टरों तथा नर्सों की आत्माओं
को पेश किया जाए ।
( दो यमदूत आत्माओं को ले कर आते हैं । डॉक्टर तथा नर्सें आपस में परिचय करते हुए )
डॉ०-१ : (सभी से) हैलो! आय एम डॉ० मित्रा फ्रॉम मुंबई ।
डॉ०-२ : आय एम डॉ० खुराना फ्रॉम दिल्ली ।
डॉ०-३ : आय एम डॉ० रियांग फ्रॉम अगरतला। कैसे मरी ।
यमराज : शांत , शांत । कृपया शांत रहें आप लोगों के कर्मफल का निर्धारण
होने जा रहा है ।
(सभी आत्माएं एक दूसरे को चुप कराती हैं ।)
चित्रगुप्त : महाराज ये सभी जीव धरती पर डॉक्टर थे । इन्हों ने सामान्य
जन को बहुत पीड़ा पहुँचाई है ।
डॉ मित्रा : यू आर रांग मिस्टर चित्रा गुप्ता ।
चित्रगुप्त :( सिर धुनते हुए ) मैं चित्रा गुप्ता नहीं चित्रगुप्त हुँ ,
डॉक्टर साहिबा ।
डॉ खुराना : ओ.के. ओ.के. मिस्टर चित्रगुप्त । हमने तो लोगों का इलाज ही
किया है । कोई गुनाह तो नहीं किया ।
चित्रगुप्त :गुनाह ही तो किया है । धन के लालच में ग़लत प्रमाणपत्र बनाए,
ग़रीबों का इलाज करने से मना किया, कमीशन के लिए ग़लत दवाएं और जांच लिखी ।
यह सब गुनाह नहीं तो और क्या है । महाराज इनके खाते में पुण्य कम और पाप
ज़्यादा हैं ।
यमराज : (सोचते हुए) इनका क्या किया जाए । पुण्य भी कमाया है और पाप भी
कम नहीं हैं। (निर्णायक मुद्रा में ) ठीक है । इन सभी को पुन: धरती पर
असाध्य रोगों के साथ भेज दो । जिससे इन्हें बीमारों की पीड़ा की अनुभूति
हो सके ।
( यमदूत सभी आत्माओं को लेकर जाते हैं । आत्माएं सिर धुनते हुए एकसाथ
बोलती हैं ओह सो सैड )
चित्रगुप्त : महाराज क्या बात है कि आज सभी मुझे चित्रा गुप्ता ही कह कर
बुला रहे हैं । अपने नाम के साथ यह मज़ाक मैं सहन नहीं कर पा रहा हूँ ।
यमराज : इसमें तुम्हारी ही ग़लती है । अपनी नाम पट्टिका पर तो ध्यान दो ।
आधुनिक बनने के लिए आङ्गल भाषा में नाम पट्टिका जो लगा रखी है उसी ने
तुम्हें चित्र से चित्र से चित्रा और गुप्त से गुप्ता बना दिया है ।
चित्रगुप्त : आप ठीक कहते हैं महाराज । मैं इस झूठी आधुनिक्ता के फेर में
मज़ाक का पात्र बन गया । (नाम पट्टिका दराज़ में रखकर, एक अन्य नाम पट्टिका
मेज़ पर रखते हुए ) देवनागरी में लिखी यह पुरानी पट्टिका ही ठीक है ।
यमराज : चित्रगुप्त अपनी भाषा ही श्रेयस्कर है ।
चित्रगुप्त : जी महाराज । (थोड़ा रुक कर ) अपनी पूरी उम्र भोग कर आई
जल्लाद चिथरा कसाई की आत्मा को पेश किया जाए ।
( चिथरा कसाई दो यमदूतों के साथ शांति से आता है )
चिथरा कसाई : (आते ही दोनो हाथ जोड़ कर) प्रभु मैने बहुत पाप किए ।
(चित्रगुप्त से) महाराज चित्रगुप्त मेरे करमों का लेख क्या देखना ? मैं
जल्लाद हूँ । मुझे नरक ही मिलना चाहिए ।
यमराज : अपने कर्मफल का निर्धारण करने की अनुमति आत्मा को नहीं है । उसके
लिए चित्रगुप्त और मैं हूँ । चित्रगुप्त इस जल्लाद के कर्मलेख क्या हैं?
बताएं !
चित्रगुप्त : महाराज, इस जीव ने धरती पर अपने निर्धारित कर्म का इमानदारी
से निर्वाह किया है। समाज का अहित करने वाले लोगों के प्राण लेना इसका
दायित्व था न कि अपनी इच्छा । व्यक्तिगत जीवन में यह एक इमानदार, दयालु,
नेक इंसान रहा है । अत: यह स्वर्ग का भागी है ।
यमराज : चिथरा कसाई को स्वर्ग दिया जाता है ।
( यमदूत चिथरा कसाई को ले जाते हैं )
यमराज : वाह चित्रगुप्त तुम्हारा भी जवाब नहीं । कसाई का घृणित कर्म करने
वाले जीव को भी तुम स्वर्ग का भागी समझते हो ।
चित्रगुप्त : महाराज, कर्मफल कार्य के नहीं, अपितु कार्य से जुड़ी भावना
के आधार पर निर्धारित होता है । (घड़ी देखते हुए) धर्मराज अल्पाहार का समय
हो चुका है । अत: अब हमें प्रस्थान करना चाहिए ।
समाप्त
(यम का दरबार लगने वाला है । यमदूत कुर्सियां, मेज़ आदि लगा रहे हैं ।
कुर्सियां लगने के बाद चित्रगुप्त पधारते हैं । सामने यमराज का आसन है और
उसके दाहिने तरफ़ चित्रगुप्त का आसन है ।)
दरबान : धर्मराज पधार रहे हैं ।
चित्रगुप्त : (धर्मराज के आने के बाद ) प्रणाम धर्मराज ।
यमराज : प्रणाम चित्रगुप्त । कहो कैसा चल रहा है ।
चित्रगुप्त :आपकी दया है महाराज ।
यमराज : आजकल मर्त्यलोक से आने वाली मृतात्माओं की संख्या बहुत बढ़ गई है ।
चित्रगुप्त :हां महाराज । मेरे ख्याल से यह सब गड़बड़ संहारकर्ता शिव शंकर
के डिपार्टमेंट से हो रही है ।
यमराज : वह कैसे ?
चित्रगुप्त :एक तो धरती पर कई जगह युद्ध चल रहे हैं उस पर शिव ने ब्रह्मा
से कह कर मच्छरों चूहों और बीमारी के कीआनुओं की फ़ौज भी खड़ी कर दी है जो
मनुष्यों का जीना हराम किए हुए है ।
यमराज : हूं । शिव की भी इसमे पूरी ग़लती नहीं है । आबादी ही इतनी अधिक बढ़
रही है कि संहार भी उनको अकेले करने में मुश्किल आ रही होगी ।
चित्रगुप्त : हां महाराज आप ठीक कह रहे हैं ।
यमराज : देखो चित्रगुप्त हम लोग भी धरतीवासियों की तरह अपना आफ़िस टाइम
बेकार की बातों में गंवा रहे हैं । हमें अपना काम शुरू करना चाहिए ।
चित्रगुप्त :जी महाराज । ( ज़रा तेज़ आवाज़ में ) प्लेन क्रैश में मारे गए ।
पाप सिंगर ग्रुप साइकल जै किशन एंड पार्टी की आत्माओं को पेश किया जाए ।
( दो यमदूत साइकल जै किशन और उसके साथियों की आत्माओं को लेकर आते हैं ।
साइकल जै ???न गिटार बजा रहा है और उसके साथी नाचते हुए आते हैं ।)
चित्रगुप्त : हां तो साइकल जै किशन तुमने ..
साइकल जैक्सन : ( बात काटते हुए, और चित्रगुप्त की नेमप्लेट को ध्यान से
पढ़ते हुए ) सी मिस्टर चित्रा गुप्ता । मेरा नाम ठीक से बोलो । आय एम
साइकल जैक्सन नाट जै किशन ओ.के. ।
चित्रगुप्त : जो भी है । .. मैं चित्रा गुप्ता नहीं चित्रगुप्त हूं ।
सा०जै० : जो भी है । .. आय डोंट केयर ।
यमराज :( मेज़ को थपथपाते हुए) शांत शांत । हां तो चित्रगुप्त इनका कर्मलेख बताओ ।
चित्रगुप्त : महाराज इन लोगों ने पुण्य का कोई काम नहीं किया । अश्लील
गीत गाए जिससे युवा पीढ़ी दिग्भ्रमित हुई । ये सभी नरक के भागीदार हैं ।
सा०जै० : ( बात काटते हुए ) अश्लील गीत !! सो व्हाट ! मैने तो पब्लिक
डिमांड को पूरा किया । लोगों को एंटरटेन किया । हमें स्वर्ग चाहिए । हम
इंद्रा को एंटरटेन करेगा । ( सा०जै० के साथी शोर मचाते हैं । हम अप्सराओं
के साथ डांस करेंगे )
यमराज : शांत शांत । ठीक है तुमने जनता का मनोरंजन किया । लेकिन कलाकार
का कर्तव्य नहीं निभाया । कलाकार को जनता का सही मार्गदर्शन करने के लिए
कला का प्रयोग करना चाहिए । जो तुम लोगों ने नहीं किया । ले जाओ इन लोगों
को नर्क में डाल दो ।
सा० जै० (जाते हुए ) ठीक है हम उधर ही एंटरटेन करेगा ।
( पूरा ग्रुप नाचते गाते चला जाता है ।)
चित्रगुप्त : पूरा जीवन बिता कर आई प्राइमरी मास्टर भरोसे लाल की आत्मा
और प्रोफ़ेसर घूरे लाल की आत्मा को पेश किया जाए।
यमराज : ये आत्माएं तो बहुत शरीफ़ दिखती हैं । इनका कर्मफल क्या है, चित्रगुप्त ।
चित्रगुप्त : जी महाराज । मास्टर भरोसेलाल ने सरकारी स्कूल का मास्टर
होते हुए भी बड़े परिश्रम से ग़रीब छात्रों को पढ़ाया है । धन का लालच नहीं
किया । कर्तव्य के प्रति इमानदारी बरती । कर्मफल के अनुसार ये स्वर्ग के
भागीदार हैं ।
मा० भ० ला० : (शांत स्वर में बात काटते हुए ) धर्मराज मुझे स्वर्ग नहीं
चाहिए । मेरे देश के करोड़ों बच्चे अभी अशिक्षित हैं । मैं दोबारा धरती पर
जाकर शिक्षा का प्रसार करना चाहता हूं ।
यमराज : आप की निष्ठा और लगन देख कर मैं अत्यंत प्रभावित हूं । आपकी
मनोकामना पूरी करते मैं आशीर्वाद देता हूं आप भारतभूमि पर जा कर नवोदय
विद्यालय नामक संस्था के प्राचार्य बनें ।
चित्रगुप्त : और महाराज ये घूरेलाल बड़े पद पर होते हुए भी अपने कर्तव्य
के प्रति लापरवाह रहे हैं । विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर थे लेकिन कभी
क्लास नहीं ली । टयूशन पढ़ाकर अपनी जेबें भरीं ।
प्रो० घू० ला० : हां महाराज , आज मुझे इस बात का पश्चाताप है कि मैने
अपने कर्तव्य का सम्यक पालन नहीं किया । अतः मुझे नरक में भेज दिया जाए ।
यमराज : हूं । लेकिन तुमने जैसे भी हो शिक्षा का प्रसार किया है । भले ही
अपने स्वार्थ के लिए । और तुम्हें अपने कर्म पर पश्चाताप भी है । अतः
तुम्हें मुक्ति के लिए एक मौका दिया जाता है । तुम्हें उसी विश्वविद्यालय
के प्रांगन में आम का वृक्ष बना कर भेजा जाता है । जिससे तुम लोगों को
छाया और मीठे फल देते हुए अपने पापों का क्षरण करो ।
चित्रगुप्त : चुनावी रैली के दौरान बम विस्फोट में मारे गए नेताओं और
पुलिस वालों की आत्माओं को पेश किया जाए ।
( दो यमदूत सभी आत्माओं को लेकर आते हैं । नेता जी के समर्थक नारे लगाते
हुए तथा नेता जी हाथ जोड़ कर आते हैं । पुलिस वाले उन्हें घेर कर सुरक्षा
दे रहे हैं ।)
नेता : (नेम प्लेटें देख कर ) प्रणाम गुप्ता जी । थोड़ा ख़्याल रखिएगा । (
धर्मराज की ओर देखकर) प्रणाम धर्मराज । कैसे हैं ।
चित्रगुप्त : देखो मैं गुप्ता जी नहीं हूं । चित्रगुप्त हूं ।
नेता : गुस्सा क्यों होते हैं , हज़ूर । नाम में क्या रख्खा है । बात तो
कुर्सी की है । आप हमें केस जिता दीजिए हम आप का प्रोमोशन करा देंगे । (
थोड़ा पास जाकर) अरे साहब ये जज की कुर्सी आप की समझिए । हां ।
यमराज : शांत शांत । (थोड़ा धीरे से ) यह कैसा प्राणी है । (चित्रगुप्त
से) चित्रगुप्त जी आप अपनी कार्यवाही शुरू करें ।
चित्रगुप्त : महाराज इस जीव को भारतभूमि पर राष्ट्रीय स्तर के नेता का
दायित्व सौंपा गया था । किन्तु यह कुर्सी के लोभ में दलबदल किया, जनता से
झूठे वादे किए , दंगे करवाए ,और यहां तक कि राष्ट्र हित का भी ध्यान नहीं
रखा । लेन देन ख़रीद फ़रोख्त इसकी आदत बन गई है ।
नेता : यह सरासर झूठ है । यह हमारे विरोधियों की चाल है । महाराज यह
गुप्ता भी बिका हुआ है । आप इसकी बातों पर ध्यान न दें । और स्वर्ग पर
मेरा हक़ बनता है ।
( नेता के साथी शोर मचाते हैं । हां हां हम स्वर्ग ले कर रहेंगे। स्वर्ग
पर हमारा ही हक़ है । )
यमराज : चुप रहो । यह यमलोक है तुम्हारी संसद नहीं । तुम लोगों ने अपने
जीवन में एक भी अच्छा काम नहीं किया । अतः इन सभी को नरक में डाल दिया
जाए ।
नेता और साथी : (जाते हुए ) यह सरासर अन्याय है । हम हड़ताल करा देंगे ।
पुलिसवाले : (एक साथ) हुजूर हमने तो ऐसा कुछ नहीं किया । जनता की सेवा की
है । हमें तो स्वर्ग मिलना ही चाहिए ।
चित्रगुप्त : तो क्या घूस मैने लिया है ? लोगों को झूठे केस में हमने
फंसाया है ? महाराज ये सब भी पापी हैं । इन्हें भी नरक में भेजा जाए ।
यमराज :ठीक है इन्होंने आम जनता को बहुत सताया है । अत: इन्हें पुनः धरती
पर भेज दिया जाए जहां ये बेरोज़गार हो कर अपना जीवन बितांएं और आम जनता के
दुःखों का अनुभव करें ।
( यमदूत पुलिस वालों को ले जाते हैं पुलिसवाले चिल्लाते हैं नहीं महाराज
हमें बेरोज़गार मत बनाइए हम नरक में जाने को तैयार हैं । )
चित्रगुप्त : फांसी की सजा से मरे आतंकवादियों की आत्मा को पेश किया जाए ।
( हाथ में बंदूक लहराते हुए माथे पर काला कपड़ा लपेटे आतंकवादियों को
यमदूत लेकर आते हैं । आतंकवादी शोर मचाते हुए आते हैं )
आतंकवादी सरगना : (चित्रगुप्त की तरफ़ बंदूक तानते हुए ) ऐ गुप्ता । उड़ा
डालूँगा, यदि मुझे स्वर्ग नही दिया । समझ ले ।
चित्रगुप्त : अपना व्यवहार संतुलित करो यह यमलोक है । अब तुम जीवित नहीं
हो । (यमराज से) महाराज लगता है इन आत्माओं पर अभी तक इनके शरीर का भ्रम
बना हुआ है । इन लोगों ने धरती पर भी ऐसे ही काम किए हैं । ये सभी अपने
कर्मों से नरक के भागीदार हैं ।
यमराज : नहीं चित्रगुप्त नरक इनके लिए बहुत छोटी सजा होगी । इन्हें
उन्हीं परिवारों में पुन: जन्म दिया जाए, जो इन के द्वारा पीड़ित हुए हैं
। ये उनकी सेवा करते हुए अपने पापों का फल भोगें ।
( आतंकवादी चीखते हुए जाते हैं । साथ ही चित्रगुप्त को धमकी देते हुए
जाते हैं कि गुप्ता तुझे देख लूँगा । )
चित्रगुप्त : विभिन्न स्थानों से लाई गई डॉक्टरों तथा नर्सों की आत्माओं
को पेश किया जाए ।
( दो यमदूत आत्माओं को ले कर आते हैं । डॉक्टर तथा नर्सें आपस में परिचय करते हुए )
डॉ०-१ : (सभी से) हैलो! आय एम डॉ० मित्रा फ्रॉम मुंबई ।
डॉ०-२ : आय एम डॉ० खुराना फ्रॉम दिल्ली ।
डॉ०-३ : आय एम डॉ० रियांग फ्रॉम अगरतला। कैसे मरी ।
यमराज : शांत , शांत । कृपया शांत रहें आप लोगों के कर्मफल का निर्धारण
होने जा रहा है ।
(सभी आत्माएं एक दूसरे को चुप कराती हैं ।)
चित्रगुप्त : महाराज ये सभी जीव धरती पर डॉक्टर थे । इन्हों ने सामान्य
जन को बहुत पीड़ा पहुँचाई है ।
डॉ मित्रा : यू आर रांग मिस्टर चित्रा गुप्ता ।
चित्रगुप्त :( सिर धुनते हुए ) मैं चित्रा गुप्ता नहीं चित्रगुप्त हुँ ,
डॉक्टर साहिबा ।
डॉ खुराना : ओ.के. ओ.के. मिस्टर चित्रगुप्त । हमने तो लोगों का इलाज ही
किया है । कोई गुनाह तो नहीं किया ।
चित्रगुप्त :गुनाह ही तो किया है । धन के लालच में ग़लत प्रमाणपत्र बनाए,
ग़रीबों का इलाज करने से मना किया, कमीशन के लिए ग़लत दवाएं और जांच लिखी ।
यह सब गुनाह नहीं तो और क्या है । महाराज इनके खाते में पुण्य कम और पाप
ज़्यादा हैं ।
यमराज : (सोचते हुए) इनका क्या किया जाए । पुण्य भी कमाया है और पाप भी
कम नहीं हैं। (निर्णायक मुद्रा में ) ठीक है । इन सभी को पुन: धरती पर
असाध्य रोगों के साथ भेज दो । जिससे इन्हें बीमारों की पीड़ा की अनुभूति
हो सके ।
( यमदूत सभी आत्माओं को लेकर जाते हैं । आत्माएं सिर धुनते हुए एकसाथ
बोलती हैं ओह सो सैड )
चित्रगुप्त : महाराज क्या बात है कि आज सभी मुझे चित्रा गुप्ता ही कह कर
बुला रहे हैं । अपने नाम के साथ यह मज़ाक मैं सहन नहीं कर पा रहा हूँ ।
यमराज : इसमें तुम्हारी ही ग़लती है । अपनी नाम पट्टिका पर तो ध्यान दो ।
आधुनिक बनने के लिए आङ्गल भाषा में नाम पट्टिका जो लगा रखी है उसी ने
तुम्हें चित्र से चित्र से चित्रा और गुप्त से गुप्ता बना दिया है ।
चित्रगुप्त : आप ठीक कहते हैं महाराज । मैं इस झूठी आधुनिक्ता के फेर में
मज़ाक का पात्र बन गया । (नाम पट्टिका दराज़ में रखकर, एक अन्य नाम पट्टिका
मेज़ पर रखते हुए ) देवनागरी में लिखी यह पुरानी पट्टिका ही ठीक है ।
यमराज : चित्रगुप्त अपनी भाषा ही श्रेयस्कर है ।
चित्रगुप्त : जी महाराज । (थोड़ा रुक कर ) अपनी पूरी उम्र भोग कर आई
जल्लाद चिथरा कसाई की आत्मा को पेश किया जाए ।
( चिथरा कसाई दो यमदूतों के साथ शांति से आता है )
चिथरा कसाई : (आते ही दोनो हाथ जोड़ कर) प्रभु मैने बहुत पाप किए ।
(चित्रगुप्त से) महाराज चित्रगुप्त मेरे करमों का लेख क्या देखना ? मैं
जल्लाद हूँ । मुझे नरक ही मिलना चाहिए ।
यमराज : अपने कर्मफल का निर्धारण करने की अनुमति आत्मा को नहीं है । उसके
लिए चित्रगुप्त और मैं हूँ । चित्रगुप्त इस जल्लाद के कर्मलेख क्या हैं?
बताएं !
चित्रगुप्त : महाराज, इस जीव ने धरती पर अपने निर्धारित कर्म का इमानदारी
से निर्वाह किया है। समाज का अहित करने वाले लोगों के प्राण लेना इसका
दायित्व था न कि अपनी इच्छा । व्यक्तिगत जीवन में यह एक इमानदार, दयालु,
नेक इंसान रहा है । अत: यह स्वर्ग का भागी है ।
यमराज : चिथरा कसाई को स्वर्ग दिया जाता है ।
( यमदूत चिथरा कसाई को ले जाते हैं )
यमराज : वाह चित्रगुप्त तुम्हारा भी जवाब नहीं । कसाई का घृणित कर्म करने
वाले जीव को भी तुम स्वर्ग का भागी समझते हो ।
चित्रगुप्त : महाराज, कर्मफल कार्य के नहीं, अपितु कार्य से जुड़ी भावना
के आधार पर निर्धारित होता है । (घड़ी देखते हुए) धर्मराज अल्पाहार का समय
हो चुका है । अत: अब हमें प्रस्थान करना चाहिए ।
समाप्त
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